Ram Mandir 2024: एक ऐतिहासिक निर्माण की कहानी

Last updated on February 29th, 2024 at 12:47 pm

Ram Mandir :

Ram Mandir

राम मंदिर शुरू होने की कहानी (Ram Mandir ki Kahani):

Ram Mandir ki Kahani: भगवान राम के बैकुण्ड जाने के बाद इनके 44 पीढियों ने अयोध्या पर राज किया | जब राम के पुत्र कुश अयोध्या के राजा थे , तब इन्होने भगवान राम के जन्मस्थल पर एक जन्मभूमि मंदिर के साथ -साथ कई छोटे -छोटे मंदिर बनवाए | मंदिरों की हालत समय के साथ जर्जर होने चली गई | जिन्हें बाद में 57 ई पूर्व के आसपास उज्जैन के राजा विक्रम आदित्य जी ने मरम्मत करवाई | लेकिन अप्रैल 1526 में बाबर के भारत आने के बाद मुग़ल शासन की शुरुआत होती है |

राम मंदिर को तोड़ने की कहानी :

Ram Mandir ki Kahani: 1528-1529 में बाबर अयोध्या आ जाता है , तो बाबर अपने सेनापति मिरबाकी से मंदिरों को तोड़कर मस्जिद बनाने का हुक्म देता हैं | तो मिरबाकी मंदिरों को तोड़कर मस्जिद बनवा देता है और हिन्दुओ को अंदर आने पर रोक लगा देता है , और फिर लगभग 190 साल बाद यानि 1717 ई में आमेर के राजा जयसिंह दित्य मस्जिद के बाहर जमीन देखकर आँगन में एक चबूतरा बनवाते है | जहाँ पर राम लला की मूर्ति को स्थापित किया जाता है |

अब यहाँ होता क्या है मस्जिद के अंदर तो मुस्लीम नवाज करते थे जबकि बाहर चबूतरे पर हिन्दू भगवान श्री राम की पूजा किया करते थे | ऐसा कई सालो तक चलता रहा और फिर 1853 में भारत के 14 सांप्रदायिक आखाड़ो में से एक निरमोही आखाडा ने याचिका दायर की इस मस्जिद के जगह पर राम मंदिर था , जिसको बाबर के समय में तोड़कर मस्जिद बना दी गई थी | अब मस्जिद को तोड़कर हम मंदिर बनवायेंगे, इसमें मुस्लमानोके द्वारा इसपर विरोध किया जाता है | (Ram Mandir ki Kahani)

अब यही से हिन्दू और मुसलमानों में जुंग सुरु हो जाती है. कई जगहों पर दंगे शुरु होने लगते है. इन दंगो को रोकने के लिए 1859 में ब्रिटिश सरकार ने मंदिर और मस्जिद के बिच में फेन्सिंग करवा देती है,जिससे कुछ सालो के लिए ये मामला सुलझ जाता है. अब होता क्या है ,निर्माही अखाड़ा के महंत रघुबर दास जी फ़ैजाबाद डिस्ट्रिक कोर्ट में राम चबूतरे पर छतरी बनाने की अपील करते है,

लेकिन उनके अपील को ख़ारिज कर दिया जाता है. अपील के ख़ारिज होने से हिन्दू कम्युनिटी में रोष की स्थिति पैदा हो जाती है और जगह जगह हिंशा शुरू हो जाती है. इस हिंसा मे मस्जिद और राम चबूतरे के बिच बनी फेंसिंग के साथ मस्जिद की दिवार को भी गिरा दिया जाता है.फिर ब्रिटिश सरकार द्वारा दिवार को बनाने के साथ ही एक नियम लागु किया जाता है की मस्जिद को केवल जुम्मे की नवाज के लिए ही खोला जायेगा और फिर भारत देश आजाद होने तक यही व्वस्था चलती रही थी. (Ram Mandir ki Kahani)

राम मंदिर मसले पर आजादी के बाद क्या हुआ?

Ram Mandir ki Kahani: भारत देश की आजादी के दो साल बाद यानि 23 दिसम्बर 1949 को सुबह होते ही हिन्दू समुदाय द्वारा मस्जिद के अंदर घंटियों और शंखनाद के आवाज के साथ पूजा की जाती है,जिससे भीड़ अक्कात्रित हो जाती है. हिन्दुओ की भीड़ पूजा करने के लिए तो मुसलमानों की भीड़ इसका विरोध करने के लिए जमा हो जाता है और फिर से एक बार विद्रोह का माहौल बन जाता है. इतनी भीड़ में पुलिस भी कुछ नही कर सकती थी, तो वहां के DM के के नायर इसकी जानकारी PMO को देते है.

जब ये मामला दिल्ली पहुचता है तो उस समय pm जवाहर लाल नेहरु थे. जवाहर लाल नेहरु pm ऑफिस से k.k. नायर को एक आदेश पारित करते हुए कहते हैं की जबरदस्ती करके किसी भी चीज को हासिल करना गलत है.मूर्ति को तुरंत मस्जिद से निकालकर बहार किया जाना चाहिए. इसके जबाब में kk नायर pm को एक पत्र लिखते हुए कहते हैं की यहाँ के माहौल को देखते हुए मूर्ति को किसी भी हालत में बाहर नही निकाला जा सकता है,क्योकि यहाँ क्र पुजारियों का मानना है की अगर बिना पूजा हवन के मूर्ति बाहर हटाई गयी तो पाप लगेगा.

अब pmo के तरफ से kk नायर को पत्र आता है की आपको जो आदेश दिया गया है उसका पालन करे और मूर्ति को बहार निकालिए. इस पत्र के जबाब में kk नायर दो सुझाव लिखकर पत्र में भेजते हैं- पहला ए की यहाँ का माहौल संभाल से बाहर है,

मस्जिद की सुरक्षा और लोगो की भीड़ को देखते हुए मस्जिद के बाहर एक जाली वाला दरवाजा लगाना होगा जिससे मस्जिद को कोई नुकसान नहीं हो और लोग बाहर से ही नमाज अदा कर सकेंगे और दूसरा ये की इस मामले को court को सौप देना चाहिए जिससे कार्ट का फैसला आने तक सब लोग शांत रहेगे. इन सुझावों के बाद kk नायर ने अपना इस्तीफा दे दिया, इनके इस्तीफे को स्वीकार नहीं किया गया लेकिन pmo को सुझाव बहुत बढ़िया लगा.

इस तरह ये मामला कोर्ट में चली जाती है और रामलला की मूर्ति मंदिर में ही रहती है. अब हिन्दू पक्ष से निर्मोही अखाडा और मुस्लिम पक्ष से सुन्नी बफ्फ़ बोर्ड, दोनों के तरफ से केश दायर किया जाता है. जिसमे निर्मोही अखाडा कहता है की इसमें तो शुरू से ही राम मंदिर था और यहाँ से तो मूर्ति भी निकल आई है, इसलिए इसका पूरा अधिकार मुझे दिया जाये, ताकि राम lala यहाँ की मंदिर स्थापित कर पाए. वही सुन्नी बफ्फ़ बोर्ड दावा करता है की आहा शुरुवात से ही मस्जिद रही है, इसलिए इसका पूरा अधिकार हमें दिया जाये.

इस आर्टिकल में राम मंदिर से जुडी सभी जानकारी को साझा किया गया है

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